दिल्ली के जामा मस्जिद से लेकर जोर बाग करबला तक काला ताजिया निकाला गया, जिसे मुहर्रम का अलविदा जुलूस भी कहा जाता है. इस जुलूस में करीब 40 हजार से ज्यादा हर धर्म के लोग शामिल हुए. करीब 15 किमी तक पैदल चलकर इमाम हुसैन शहादत की श्रद्धांजलि दी गई. 2 महीने 8 दिन के बाद अब 25 सितंबर से ये मुहर्रम का गम खत्म हो जाएगा...देखिए अली अब्बास नकवी की रिपोर्ट