उन्मुक्त अभिव्यक्ति की आजादी वह मामला है, जिसके पैमाने पर हमारी संस्थाएं फेल भी हुई हैं और कभी-कभी पास होकर हमेशा टॉपर बने रहने का खुशनुमा भ्रम भी पैदा करती रही हैं। अभिव्यक्ति की आजादी कौन तय करता है, इसका भी फैसला होना चाहिए। कभी कोई धार्मिक संगठन आ जाता है, कभी कोई राजनीतिक संगठन आ जाता है तो कभी न्यूज़ चैनल भी आ जाता है। तमाम फैसले के बाद भी अभिव्यक्ति की आजादी का मामला अभी तक सुलझा नहीं है।