क्या सज़ा मिलने से इंसाफ़ मिल जाता है? सज़ा का मकसद क्या सिर्फ पीड़ित को इंसाफ़ दिलाना होता है या अपराधी के लिए भी कुछ मकसद होता है? अपराध से किसी बच्चे को परिभाषित किया जाए या उसकी उम्र की नासमझी से उसे देखा जाए। क्या नया कानून बाल मन की समझ और सुधार की संभावना की बात करता है या जघन्य अपराधी को अधिकतम से अधिकतम सज़ा देने की भूख मिटाता है?