प्राइम टाइम : धर्म के नाम पर ये सियासत हमें कहां ले जाकर छोड़ेगी?

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  • प्रकाशित: अप्रैल 12, 2018
साल 2012 का दिसबंर था. एक अंग्रेज़ी अख़बार में निर्भया के साथ बलात्कार और फिर हत्या की ख़बर विस्तार से छपी थी. उसी शाम या उसके अगले दिन वो ख़बर टीवी पर सवार होती है और देखते देखते दो तीन दिनों के भीतर जैसे जैसे उस कांड की एक एक कहानी लोगों तक पहुंचनी शुरू होती है, लोग घरों से बाहर आने लगते हैं. शुरुआत लेफ्ट से जुड़े महिला संगठनों ने की थी मगर बाद में वो आंदोलन पहले दिल्ली का हुआ है, फिर देश का हो गया.

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