देश की छह बड़े मांस निर्यातक कंपनियों में चार के मालिक हिन्दू हैं। बीमार गायों और चौराहों पर पोलिथीन खाने के लिए मजबूर गायों के लिए तो कुछ नहीं है। बूढ़ी और बीमार गायों का रखरखाव कौन करेगा। भारतीय राजनीति के इस सवाल पर ऐसा कुछ बचा नहीं है जो कहा नहीं गया हो। रोज़गार से लेकर आहार तक पर चर्चा हो चुकी है। रिजीजू साहब हो सकता है एक बार और सफाई दें लेकिन क्या हम इसे लोकतांत्रिक अधिकारों के चश्में से देख सकते हैं। नहीं खो वाला वैसे ही नहीं खाता है। जो खाता है उससे कानून से क्यों वंचित किया जाए। देखें विषय पर चर्चा प्राइम टाइम में...