गुजरात में पिछले कुछ दिनों में चार ऐसी घटनाएं हुई हैं जिसमें अनुसूचित जाति के दूल्हे की बारात रोकी गई है. घोड़ी चढ़ने से रोका गया है. बारात इस रास्ते से न निकले इसलिए अगड़ी या प्रभावी जाति की औरतें सड़क पर बैठकर भजन कर रही हैं. यज्ञ किया जाने लगा. आप सोचिए कि दूल्हे के भीतर अपमान की कैसी परतें बनी होंगी. दुल्हन को कैसा लगा होगा कि सबका दूल्हा घोड़ी चढ़ कर आता है, उसके दूल्हे को जाति के कारण नहीं चढ़ने दिया गया. भजन करते हुए रोकने बैठी औरतों में अनुसूचित जाति को लेकर कितनी नफरत होगी.