एक तरफ मॉब लिचिंग और विचारधारा के आधार पर हत्याओं की घटनाएं बढ़ रही हैं, तो वहीं नफरत फैलाने वाले बयान भी लगातार बढ़ रहे हैं. ये बयान सांसदों-विधायकों और प्रवक्ताओं की ओर से दिए जाते हैं. राजनीतिक पार्टियां इनसे किनारा कर लेती हैं, मगर समाज को बांटने वाले और हिंसा के लिए उकसाने वाले ये बयान अपना असर छोड़ जाते हैं.