Parliament Session: उम्मीद थी कि नई लोक सभा में चीजें ठीक होंगी। सदन में काम होगा। विपक्ष की आवाज सुनने को मिलेगी और सरकार का एजेंडा आगे बढ़ेगा। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। अठारहवीं लोक सभा भी पिछली दो लोक सभाओं की तरह शोर शराबे और हंगामे का शिकार हो रही है। शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार अब धक्का-मुक्की तक पहुंच गई है। पहली बार 2 सांसद अस्पताल पहुंच गए। लेकिन इन सबका असर संसद की कार्यकुशलता पर पड़ रहा है। काम के घंटे कम हो गए हैं, बैठकें कम हो गई हैं। महत्वपूर्ण बिल बिना बहस के पास हो रहे हैं. क्या संसद का ठप होना लोकतंत्र के लिए आघात नहीं है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरा गई है कि अब एक-दूसरे पर मारपीट के गंभीर आरोप तक लगाए जा रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच संवाद शून्य है। आखिर रास्ता क्या है ताकि लोगों का भरोसा संसद पर कायम रह सके। इसी पर चर्चा के लिए हमारे साथ जुड़ रहे हैं बीजेपी के वरिष्ठ नेता राकेश सिन्हा और जेएमएम सांसद महुआ मांझी।