ओलंपिक (Olympic) में भारत का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा. इस साल गोल्ड मेडल (Gold Medal) से हम दूर रह गए. हालाकि नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने सिल्वर जीतकर देश का मान बढ़ाया. कुल छह मेडल भारत ने जीते हैं. लेकिन क्या ये 140 करोड़ से ज़्यादा के देश के लिए काफी है. मेडल टैली में चीन छोड़कर जितने भी देश हैं उनकी जनसंख्या हमसे कम है. लेकिन हम फिर भी बहुत पीछे रह गए हैं. सवाल ये है कि क्या खेल को लेकर गंभीरता की अभी भी कमी है. आखिर क्यों हमारे एथलीट वो कमाल नहीं कर पा रहे जो दूसरे देशों के एथलीट कर रहे हैं. खेल पर पहले से ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है, ये सही बात है. लेकिन मेडल टैली में उसका असर फिलहाल तो बहुत नहीं ही दिख रहा है..हम कतई भी खिलाड़ियों की मेहनत को कम कर नहीं आंक रहे हैं. वो बहुत मेहनत करते हैं और अपना सबकुछ दांव पर देश के लिए लगा देते हैं. हम बस मेडल क्यों नहीं आते इसपर बात कर रहे हैं. कहां कमियां रह जाती हैं उसपर बात करने वाले हैं..कैसे सुधार कर सकते हैं?