एक इमारत जब गिरती है तो सिर्फ जान-माल का नुक़सान नहीं होता है.उस इमारत के साथ गिरती है उम्मीद,टूटता है विश्वास, और बिखरता है भरोसा कि घर लौट आएंगे तो सब ठीक हो जाएगा. एक घर की अहमियत गिरी है और आज से नहीं काफी वक्त से गिर रही है. हमने देखा सोलन में पूरा होटल गिर पड़ा. मुंबई में तमाम बिल्डिंग हर बारिश में गिरती है. और तो और याद कीजिए पिछले साल शाहबेरी ग्रेटर नोएडा को,जहां एक नई बिल्डिंग ताश के पत्तों की तरह बिखर गई.एक साल बाद भी प्रशासन का ये कहना है कि हमारा बेतुकी इमारतों पर कोई कंट्रोल नहीं है.