बनारस के मुफ्ती मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने किताब लिखी है 'तारीख के आईने में ज्ञानवापी'. उसमें बताते कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद कब बनी, इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं है. लेकिन यह आलमगीर मस्जिद है. ज्ञानवापी इलाका होने की वजह से इसका नाम ज्ञानवापी पड़ा.