प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सामाजिक मोर्चे पर रही। 2002 के दाग के बावजूद देश की जनता ने उन्हें स्वीकार किया। उन्होंने सभी वर्गों और समुदायों के साथ बराबरी के सलूक का वादा किया, लेकिन उनके नेता और मंत्री पूरे साल ज़हर उगलने से बाज़ नहीं आए।