27 जुलाई से मेधा पाटकर उपवास पर हैं. सरदार सरोवर योजना के तहत विस्थापित होने जा रहे 192 गांवों के लोगों की कहानी टीवी तक कैसे आएगी. इसके लिए भी हाईकोर्ट को आदेश देना होगा कि जब हमने आपको एक नेता के पीछे दिनभर लगे रहने पर रोक लगा दी है तो अब बाकि काम तो कीजिए, मगर सच्चाई स्वीकार कर लेने में कोई बुराई नहीं है. आप टीवी देखिए, लेकिन ये मान लीजिए कि टेलीविजीन गरीब जनता का विरोधी माध्यम है. इसके कार्यक्रमों के डिजाइन की बुनियाद ही ऐसी होती है कि इसमें गरीब-मजदूर लोगों के मुददों को देश की जनता के सामने आने ही नहीं दिया जाए.