2 सालों में मेरी मां गुजर गई, पिता चल बसे, भाई का देहांत हो गया, पत्नी नहीं रही। अब लगता है मेरे मरने के बाद ही कुछ होगा। कभी आंखें डबडबा जातीं, तो कभी बेकाबू हुए आंसूओं को रुमाल से पोंछने लगते। 82 साल के राजपाल मेहरा को डीडीए ऐसे ही बीते 22 सालों से रुला रहा है।