मैसूर में बिल्कुल अलग अंदाज में दशहरा मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, मैसूर का नाम महिषासुर के नाम पर पड़ा जिसे दुर्गा के एक रूप देवी चामुंडेश्वरी ने मारा था. विजयदशमी के दिन मैसूर की सड़कों पर विशाल जुलूस निकलता है जिसमें हाथी जैसे और ऊंट जैसे जानवर भी होते हैं. इसमें सजे-धजे हाथी के ऊपर एक हौदे में चामुंडेश्वरी माता की मूर्ति रखी जाती है. सबसे पहले इस मूर्ति की पूजा मैसूर के रॉयल कपल करते हैं उसके बाद दशहरे का भव्य जुलूस निकाला जाता है. दरअसल, यह मूर्ति सोने की बनी होती है साथ ही हौदा भी सोने का होता है. दरअसल मैसूर दशहरा में राजशाली और भव्य रंगों की इतनी भरमार होती है कि यहां देश-विदेश से लाखों सैलानी हर साल आते हैं.