शरीर की बनावट थोड़ी बदली, तो इंसानी रिश्तों ने हमेशा के लिए मुंह मोड़ लिया है। अब दो वक्त की रोटी के लिए सरकारी रहम के आसरे हैं। ये हक़ीक़त है मुंबई में कुष्ठ रोगियों के इकलौते एैकवर्थ म्यूनिसिपल अस्पताल की। 75 साल के रमन प्रभू यहां कई सालों से रहे रहे हैं, उंगलियां और पंजा बहुत पहले गल चुका है, बावजूद इसके स्टॉफ की कमी से जूझते वडाला स्थित इस अस्पताल में इन जैसे मरीज़ ही झाड़ू-पोछे से लेकर पौधों में पानी देने का काम करते हैं।