युद्ध, प्राकृतिक आपदा, सरकारों और सेना के अत्याचार के शिकार और विस्थापित लोगों की ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं. आमतौर पर हम मदद को कपड़ा और खाना बांटने तक ही समझते हैं मगर इसके संसार में भी अनेक कहानियां हैं. इसके अपने नियम हैं. विवाद भी हैं. जब खालसा एड नाम का संगठन बांग्लादेश पहुंच कर रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद करने लगा तो दुनिया को अच्छा भी लगा और भारत में इन्हें ट्रोल भी किया गया यानी कुछ लोग यह याद दिलाना नहीं भूले कि एक सिख संगठन कैसे मुसलमानों की मदद कर रहा है जबकि सिख धर्म गुरुओं और मुसलमानों के इतिहास का एक हिस्सा ख़ूनी रहा है. बहरहाल ट्वीटर और फेसबुक पर इन्हें भी आतंकवादियों का समर्थक बता दिया. इतना कि खालसा एड को सफाई देनी पड़ गई.