दुनिया में चाहे जहां बड़ा संकट हो, देशों की आपसी लड़ाइयां हों या देशों के अंदर गृह युद्ध हों, वहां संयुक्त राष्ट्र की भूमिका अक्सर उतनी प्रभावी नहीं रही है जिसके लिए उसकी स्थापना की गई. कई बार उसे सिर्फ़ काग़ज़ी शेर या बिना नाखून और दांतों का शेर कह दिया जाता है क्योंकि कोई भी पक्ष उसकी बात मानने को तैयर नहीं होता.