चुनावों के मौसम में कई तरह के मसले उठते हैं कुछ आर्थिक, कुछ सामाजिक तो कभी धार्मिक, जिन्हें सियासी पार्टियां अपनी-अपनी तरह से भुनाने की कोशिश करती हैं. एक ऐसा ही मुद्दा है तीन तलाक़ का. बेशक ये एक सामाजिक मुद्दा हो लेकिन अगर देश के प्रधानमंत्री और सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष अपनी रैलियों में बार-बार इसका इस्तेमाल करते हैं तो सोचना लाजिमी है कि मसला सामाजिक है या सियासी.