नागरिकता बिल के पास होने के बाद से सियासी गहमा गहमी काफी तेज हो गई. तनाव भरे माहौल में भड़काऊ बयान भी खूब देखने को मिल रहे हैं. 11 दिसंबर 2019 से 27 जनवरी 2020 के बीच 27 बार भड़काऊ भाषण दिए गए. यह सिलसिला मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी था लेकिन इतना ज्यादा नहीं जितना इन दिनों देखने को मिल रहा है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 174 बार भड़काऊ बयान दिए गए यानी की करीब हर महीने तीन, और इसकी तुलना पिछले करीब एक महीने में करनें तो बीते एक महीने के भीतर ही 25 बार उकसाने वाले बयान दिए गए हैं.