आईडीबीआई बैंक एक सरकारी बैंक. इसकी हिस्सेदारी एलआईसी ख़रीद रही है. सरकार अपना हिस्सा बेच रही है तो इसमें काम कर रहे हज़ारों कर्मचारी और अधिकारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है. उन लोगों ने प्राइवेट सेक्टर की नौकरी छोड़ सरकारी सेक्टर की नौकरी का चुनाव किया था, जिसके लिए कई साल तैयारी की थी. अब उन्हें लगता है कि उनके साथ धोखा हुआ है. देश भर में फैले आईडीबीआई ब्रांच के बाहर धरना प्रदर्शन चल रहा है. दो दिनों की हड़ताल का आखिरी दिन था. क्या ये 10 से 15 हजार कर्मचारी निजीकरण को रोक सकते हैं, दरअसल नहीं रोक सकते क्योंकि विपक्ष का भी कोई इनके साथ नहीं आएगा क्योंकि विपक्ष में भी किसी को पता नहीं है कि निजीकरण का करना क्या है. इससे कितना लाभ हुआ है या नुकसान ज़्यादा हुआ है. आप इन बैंक कर्मियों की बातें सुनिए इस वक्त ये क्या सोच रहे हैं.