दिल्ली में किसान मुक्ति संसद बुलाई गई. 184 किसान संगठनों का एक साथ आना सामान्य घटना नहीं है. इस मौके पर जो किसान आए थे उनकी अपनी बहुत सी ऐसी समस्याएं थीं जो मुख्य मांगों की सूची में शामिल नहीं हो सकीं. उन समस्याओं को सुनिए और एक बार सच्चे दिल से सोचिए कि क्या इन समस्याओं को कलेक्टर, बीडीओ अपने स्तर पर नहीं सुलझा सकते थे, अगर नहीं तो वे होते ही क्यों हैं.
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