उत्तरप्रदेश के वाराणसी (Varanasi) के जिस मकान में उस्ताद बिस्म्मिल्लाह खां (Bissmilaah Khan) की शहनाई परवान चढ़ी, जिसकी हर दरोदीवार पर उस्ताद की यादें सिमटी हैं और फज़्र की नमाज़ के बाद जिस कमरे में उस्ताद शहनाई का रियाज़ करते थे उस कमरे पर हथौड़ा चला है. यह हथौड़ा पारिवारिक विवाद का है, जिसमें एक पक्ष उस मकान को तोड़कर व्यावसायिक केंद्र बनाना चाहता है तो दूसरा पक्ष उसे धरोहर के रूप में बचाए रखना चाहता है.