राजनीति में शक्ति प्रदर्शन पूर्ण विराम नहीं होता है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक में अपना शक्ति प्रदर्शन कर दिया तो उसी बैठक में सचिन पायलट ने नहीं जाकर अपना भी शक्ति प्रदर्शन कर दिया. दोनों अपनी-अपनी जगह पर मजबूत नजर आ रहे हैं. सरकार भी बच गई है और पालयट भी बच गए हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया चले गए, सरकार चली गई, दल-बदल कानून का अस्तित्व समाप्त हो गया. इसके होने से सरकारों के रहने का जो भ्रम था वह भी कर्नाटक, गोवा और मध्य प्रदेश के बाद टूट गया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट की उम्र के सांसद और विधायक बीजेपी में भी हैं. मगर धीरज के साथ. केंद्र में ज्यादातर राज्य मंत्री बने हुए हैं. ऐसे ही युवा से लगने वाले राघवेंद्र सिंह राठौर खेल मंत्री ही रहे और दूसरी सरकार में जगह ही नहीं मिली. लेकिन फिर भी धीरज है. काफी हैंडसम हैं. निशानेबाजी करते हैं, लेकिन राज्य मंत्री से आगे नहीं बढ़ पाए.