45 साल के हरसूल यादव ने घर के पास रेल की पटरी पर लेट के जान दे दी। 10 बीघा ज़मीन किराये पर ली थी खेती करने के लिए, क़र्ज़ा 1 लाख 30 हजार रुपये। एक साल पहले बेटियों की शादी भी की थी, सोचा इस साल खेत किराये पर लेकर 2 साल से चला आ रहा ऋण चुका दूंगा। लेकिन ओला वृष्टि ने सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया। सरकारी मुआवज़े का इंतज़ार करते करते हरसूल की हिम्मत टूट गई।