इस रिपोर्ट के अनुसार किसी भी राज्य में अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़े वर्गों का कोटा पूरी तरह नहीं भरा गया है. सिर्फ कर्नाटक है जहां सारा कोटा पूरा भरा गया है लेकिन वहां भी अनुसूचित जातियों के कोटे की 4 प्रतिशत सीटें खाली रह गई हैं. बजट की भारी कमी ज्यादातर राज्यों में है. 10 राज्यों में पुलिस के पदों की संख्या में कटौती की गई है. जबकि आबादी बढ़ी है. 24 राज्य ऐसे हैं जहां पुलिस में अफसर स्तर पर 20 प्रतिशत पद खाली हैं. न्याय में भी देरी और बेरोज़गारी में भी बढ़ोत्तरी. इन पदों को भरा जाता तो बेरोज़गारी भी दूर होती और न्याय भी समय से मिलता. 1995 से लेकर विधिक सेवाओं द्वारा मात्र डेढ़ करोड़ लोगों को कानूनी सहायता दी गई है. जबकि 80 फीसदी आबादी गरीब होने के कारण लीगल एड पर निर्भर है. यानी लीगल एड का सिस्टम भी फेल है. निशुल्क कानूनी सहायता के मामले में एक व्यक्ति पर मात्र 75 पैसे खर्च हो रहे हैं. सुशील महापात्रा ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर से बात की.