हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान जो एक बात देखने में आई है वो है मत प्रतिशत का गिरना. महाराष्ट्र में तो 83 सीटें ऐसी हैं जहां चार प्रतिशत से अधिक वोटिंग हुई ही नहीं. हरियाणा में भी यही हाल रहा. इसका सबसे बड़ा कारण वोटरों में आई निराशा है. सत्ता पक्षा का जो वोटर है वह सोचता है कि जब उनकी पार्टी जीत रही है तो उन्हें वोट देने जाने की जरूरत नहीं है. दूसरी ओर विपक्ष का जो वोटर है वह सोचता है कि जब उनकी पार्टी का आने का सवाल ही नहीं है तो वह अपना काम छोड़कर वोट डालने क्यों जाए. इसके बीच एक बात जो सबसे मुख्य रूप से उभर कर सामने आई वह है कि चाहे कुछ भी हो आएगा तो मोदी ही. यानी जीतेगी तो बीजेपी. देखें रिपोर्ट