ज़रूरी है कि जो हुआ है उस पर शांत स्वर में बात की जाए. जिस तरह से शाहीन बाग़ को तेज़ी से शत्रु और गद्दार के रूप में चित्रित किया जाने लगा था वो उसी ज़हर का हिस्सा है जो कई महीनों से फैलाया जा रहा था. नेताओं के बयानों ने माहौल बनाया है कि ऐसा सोचा जाना ऐसा बोला जाना ग़लत नहीं है. जिस तरह से एक समुदाय विशेष को लेकर ज़हर उगल रहा है उसके असर में यह स्वाभाविक है कि कोई नौजवान उसकी चपेट में आ जाए. जब पूरा सिस्टम इस तरह की सोच को आगे जाने का रास्ता देने लगे तब किसी के भीतर से भी यह डर खत्म हो सकता है कि ऐसा करने से समस्या हो सकती है. गोली मारने के नारों के ज़रिए उस ज़हर को एक्शन के लिए इशारा कर दिया गया है जो मीडिया व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी और नेताओं के बयानों के ज़रिए घर घर पहुंचा दिया गया है. वर्ना 17 साल का किशोर एक बार सोचता कि उसकी पीठ के पीछे पुलिस बल खड़ा है. सामने छात्र खड़े हैं. होली फैमिली अस्पताल के सामने वो आता है पिस्तौल लहराता है और गोली चला देता है.