सांप्रदायिक हिंसा के नाम पर भड़काने वालों और उकसाने वालों की संख्या कम नहीं है. ऐसा लगता है लोग भड़कने के लिए और लोग उकसाने के लिए बैठे हुए हैं. सांप्रदायिक सनक बहुत आसानी से सवार हो जा रही है. बेंगलुरु में फिलहाल स्थिति नियंत्रण में हैं लेकिन सिर्फ एक पोस्ट से हिंसा की शुरुआत हो जाती है.