10-11 अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. उस मामले में डॉ. कफ़ील ख़ान को गिरफ्तार किया गया और वे 8 महीने जेल से रहे. ज़मानत इसलिए मिली क्योंकि अदालत को उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला, फिर भी 8 महीने जेल में रहे. दो साल बाद उनके खिलाफ बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट आई है. यह रिपोर्ट भी 90 दिनों के भीतर आनी थी लेकिन अब आई है तो उन्हें भ्रष्टचार और लापरवाही के आरोपों से बरी कर दिया गया है. यह भी कहा गया है कि डॉ. कफील ने समय पर ही सीनियर को बता दिया था कि ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं हैं. बेशक उन पर 2016 के पहले प्राइवेट प्रैक्टिस करने का आरोप सही पाया गया है जिसे खुद डॉ. कफील ने कबूल किया था. यूपी सरकार ने प्रेस रीलीज़ जारी कर कहा कि उन्हें सभी आरोपों से बरी नहीं किया गया लेकिन उसी रीलिज़ में सरकार कह रही है कि भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप से बरी कर दिया गया है. भारत में आसान हो गया है कि किसी को किसी भी आरोप गिरफ्तार करो. जांच के नाम पर दो साल दस साल लगा दो और कहो कि इंसाफ में यकीन है तो कोर्ट जाओ.