हमारे देश में कहीं भी कोई बड़ा अपराध होता है तो लोग सीबीआई जांच की मांग करते हैं. इसके माध्यम से भरोसा जताया जाता रहा है कि सही अपराधी तक पंहुचा जा सकेगा, लेकिन इस एजेंसी की लगातार फजीहत होती दिख रही है. उसे पिजरे में बंद तोता तक कहा गया, यानी सरकार के इशारो पर चलने वाली एजेंसी. लेकिन अब जो इस एजेंसी में हो रहा है वह बेहद अफसोस जनक और गंभीर है. ये हालत है कि सीबीआई डरेक्टर और स्पेशल डरेक्टर आपस में भिड़े हुए हैं. ये दोनो cbi में दो सबसे वरिष्ठ अफसर हैं. घूसखोरी के आरोप लगा रहे हैं. इतनी लड़ाई की एफआईआर तक दाखिल की गई. तो क्या बचेगा इनके पास देश के लिए काम करने का समय.