बस दो हफ़्तों बाद निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. लेकिन अर्थव्यवस्था के हालात बुरे हैं. उद्योग जगत गिरावट का सामना कर रहा है- खास कर ऑटो उद्योग. क्या बजट अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे सकता है? जब बजट की तैयारी चल रही है, तब उसी वक़्त दिसंबर की तिमाही के मायूस करने वाले नतीजे आ रहे हैं. अब तक जिन 29 कंपनियों ने नतीजे घोषित किए हैं- उनमें 22 छोटी कंपनियां हैं- वहां आय बढ़ोतरी महज 7% रही है, बीते साल ये 8% थी.
और शुद्ध मुनाफ़ा 1.3% घटा है. दिसंबर की तिमाही का हाल सितंबर की तिमाही जैसा ही लग रहा है जब कॉरपोरेट कमाई 14 तिमाहियों में पहली बार निगेटिव ग्रोथ दिखा रही थी. ये सब ऐसे समय हो रहा है जब उपभोक्ता महंगाई दर 5 साल में सबसे ज़्यादा है और विकास दर साढ़े छह साल में सबसे नीचे 4.5% है. सरकार निवेश बढ़ाने की बात कर रही है, लेकिन बजट अनुमानों तक पहुंचने के लिए टैक्स संग्रह बढ़ाना होगा. फिर सरकार के सामने दोहरी चुनौती है- बढ़ती महंगाई दर की और घटती विकास दर की.