नागरिकता संशोधन कानून का भूगोल टीवी चैनलों में बहुत छोटा दिख रहा है. लेकिन अगर आप देश भर मे होने वाले प्रदर्शनों की जानकारी सर्च करेंगे तो पता चलेगा कि कोई ऐसा कोना नहीं है जहां हर दिन इस कानून का विरोध एक नया रंग ले लेता है. जब से यह कानून पास हुआ है, असम में प्रधानमंत्री का दो-दो बार दौरा रद्द हो गया है.मुख्यमंत्री सोनेवाल तो असम में ही हैं मगर बाहर निकलते ही उन्हें कई मौकों पर भारी विरोध का सामना करना पड़ा है. आज मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनेवाल अपने गृह ज़िले डिब्रूगढ़ में थे. जैसे ही एयरपोर्ट से डिब्रूगढ़ शहर के लिए निकले ऑल असम स्टुडेंट यूनियन (आसू) के कार्यकर्ताओं ने काफिले को काला झंडा दिखाया. कार्यकर्ता सुरक्षा घेरे को तोड़ कर कार के करीब गए और काला कपड़ा दिखा दिया. शायद मुख्यमंत्री बिहू मनाने अपने पैतृक निवास जा रहे थे. इसके पहले भी एक बार आसू के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री का रास्ता इस तरह से रोका था कि उन्हें हेलिकॉप्टर से जाना पड़ गया. पहली जनवरी को जब मुख्यमंत्री बारपेटा के सारथीबाड़ी की तरफ जा रहे थे तब उनके काफिले को नारेबाज़ी का सामना करना पड़ा. नलबाड़ी में भी आसू ने मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन किया. यहां तक कि गुवाहाटी में बिहू के मौके पर भी बुज़ुर्ग घरों से निकले हैं और नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में नारेबाज़ी की है. कई जगहों पर मेजूस यानी अलाव में नागरिकता संशोधन कानून की प्रतियों को जलाया गया है.