क्या आपको वाकई लगता है कि न्यूज़ चैनलों ने आप आम आदमी को आवाज़ दी है. इस सवाल पर सोचिएगा और खुद से पूछिएगा कि उनके ज़रिए आपकी आवाज़ सरकार की ओर जा रही है या सरकार को पसंद आने वाले मुद्दे चैनलों के ज़रिए आप तक आ रहे हैं. इस फर्क को समझ लेने से ही आप देख पाएंगे कि जब आप अपने मुद्दे लेकर सड़कों पर आते हैं तो ज़्यादातर मामलों में चैनल वहां से चले जाते हैं. जैसे आप ही अपनी परेशानियों के कारण हैं. सरकार या उसकी नीति नहीं. न्यूज़ चैनल ने आपको अभ्यास के ज़रिए बदल दिया है. बड़ी आसानी से सूचनाओं और सवालों को गायब कर दिया गया है. राजनीतिक एजेंडे के साथ कदमताल करना सिखा रहे हैं. बहुत से लोग सीख भी रहे हैं. इस प्रक्रिया में हो यह रहा है कि आम आदमी अपनी तकलीकों के साथ मीडिया के इस स्पेस से गायब कर दिया गया है. इसे आप आसानी से समझ सकते हैं. 11 लाख आदिवासियों को उनकी ज़मीन से बेदखल किया जाएगा क्या ये स्टोरी चैनलों की दुनिया से गायब नहीं कर दी गई.