कभी आपने सोचा है कि न्यूज़ चैनलों पर हर हफ्ते किसी न किसी बहाने ऐसे मुद्दे क्यों लौट आते हैं, जिनके बहाने राष्ट्रवाद की चर्चा होने लगती है। क्या आपने इन्हीं चैनलों पर सस्ती शिक्षा, अच्छी शिक्षा, बेकारी, नौकरी, स्वास्थ्य और जीवन सुरक्षा, पेंशन जैसे मसलों पर राष्ट्रवादी ललकारें सुनी हैं। अचानक हमारे राष्ट्रवाद को क्या हो गया है, कई बार लगता है कि प्राइम टाइम नहीं रहेगा तो राष्ट्रवाद भी नहीं रहेगा।