कभी आपने सोचा है कि न्यूज़ चैनलों पर हर हफ्ते किसी न किसी बहाने ऐसे मुद्दे क्यों लौट आते हैं, जिनके बहाने राष्ट्रवाद की चर्चा होने लगती है। कश्मीर की हिंसा के कवरेज को राष्ट्रहित, देशहित, एकता, अखंडता के नाम से परखा जा रहा है। जेएनयू के समय भी राष्ट्रवाद उभरा था। कैराना में फर्ज़ी ख़बर के दम पर इसी मीडिया ने वहां कश्मीर तक पैदा कर दिया था। वही मीडिया अब कश्मीर में राष्ट्रवाद का ढोल पीट रहा है।