आज लोकसभा में कश्मीर पर बहस के दौरान विपक्ष का ख़ालीपन दिखा. वो कमज़ोर तो पहले से भी था, अब उसके भीतर का खालीपन भी नजर आने लगा है. कश्मीर पर अमित शाह का भाषण चल रहा था. उनके उठाए सवालों और इतिहास की उनकी अपनी व्याख्या का कोई विपक्षी नेता बिंदुवार तरीके से जवाब भी नहीं दे सका. पता चल रहा था कि कश्मीर जैसे महत्वपूर्ण विषय पर धारदार तरीके से बोलने के लिए कांग्रेस या किसी भी दल का कोई तैयार होकर नहीं आया था. विपक्ष के नेता मामूली टोका-टोकी के सहारे भाषण में व्यवधान तो पैदा करते रहे लेकिन उनके पास ऐसा कोई सवाल नहीं था, कोई तथ्य नहीं था जो गृहमंत्री अमित शाह के भाषण की काट पेश कर सकता. हालत यह थी कि जब अमित शाह ने कुछ सदस्यों के सवालों के जवाब देने की कोशिश की तो सदस्य सदन में हाज़िर नहीं थे. अमित शाह ने डिलिमिटेशन पर जवाब देने की कोशिश की तो प्रश्न पूछने वाले सदस्य नज़र ही नहीं आए. जबकि यह जम्मू कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न है.