अमीश त्रिपाठी ने कहा कि रामायण को लेकर बहुत से लोगों की सोच 80 के दशक में आई टीवी धाराविक पर ही आधारित है, बहुत कम ही लोगों ने वालमीकी रामायण पढ़ी है।
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