राजस्थान में खुद को सत्ता के करीब पा रही कांग्रेस किसी तरह का जोखिम मोल लेने को तैयार नहीं. सचिन पायलट और अशोक गहलोत की महत्वाकांक्षाओं से जूझ रही पार्टी ने अब बीच का रास्ता निकाला है. मध्य प्रदेश के उलट राजस्थान में इन दोनों ही नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए कह दिया गया है. जल्दी ही उनके चुनाव क्षेत्रों का ऐलान भी कर दिया जाएगा. इसका सीधा मतलब यह है कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो ये दोनों ही नेता मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में रहेंगे. यानी जो भी घमासान होना है वो चुनाव नतीजे आने के बाद ही होगा. पर एक कोशिश उम्मीदवारों की सूची को लेकर चल रहे घमासान को रोकने की भी दिखती है जो अलग-अलग गुटों के दावेदारों के बीच कुछ इस तरह फंसी है कि अभी तक बाहर ही नहीं आ सकी है. माना जा रहा है कि प्रदेश के सभी ताकतवर नेता अपने-अपने समर्थकों को अधिक से अधिक टिकट दिलवाने में लगे हैं ताकि चुनाव बाद मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करते समय अपने पक्ष में अधिक विधायकों का समर्थन दिखाया जा सके. इसीलिए बड़ा सवाल यही है कि गहलोत और पायलट को चुनाव लड़ाने से कांग्रेस के लिए राजस्थान में बात सुलझी है या फिर उलझी है? पायलट की सीट पर कौन रहेगा और को पायलट कौन होगा? यह सवाल पूछने पर गहलोत झल्ला जाते हैं.