उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (Gairsain) को कमिश्नरी बनाने की अपनी सरकार के निर्णय को सही ठहराते हुए शनिवार को कहा कि इसका उद्देश्य क्षेत्र का सुनियोजित विकास करना था. राज्य सरकार द्वारा कुमाऊं और गढ़वाल के बाद राज्य में तीसरी कमिश्नरी बनाने के कदम पर रोक लगाने के नई राज्य सरकार की कैबिनेट के शुक्रवार के फैसले को लेकर संवाददाताओं द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में रावत ने अपनी सरकार के कदम को सही ठहराया.
पूर्व मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को राज्य के नये प्रशासनिक प्रभाग के रूप में अद्यतन करते हुए इसे तीसरी कमिशनरी बनाया था, जिसमें चार पहाड़ी जिले, अल्मोड़ा, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग और चमोली शामिल थे. उन्होंने यहां अपने निवास पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरे निर्णय का उद्देश्य राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी का नियोजित विकास करना था. निर्णय उत्तराखंड के दो क्षेत्रों की संस्कृतियों का मिलन बिंदु बनाने की दृष्टि का हिस्सा भी था.''
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत ने ग्रहण की शपथ
पूर्व मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में शुक्रवार के मंत्रिमंडल के फैसले पर और कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह नई ‘‘सरकार की अपनी सोच'' है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चार धाम सहित मंदिरों का नियंत्रण देवस्थानम बोर्ड को सौंपने के उनके फैसले को राज्य की कैबिनेट द्वारा पलटने पर कहा कि बोर्ड का गठन मंदिरों के बेहतर प्रबंधन और श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाओं के निर्माण के लिए किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि बोर्ड के दायरे में कोई नया मंदिर नहीं लाया गया.
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को कहा था कि उन्होंने प्रसिद्ध हिमालयी मंदिरों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित 51 मंदिरों का प्रबंधन बोर्ड के नियंत्रण से हटाने और इसके गठन पर पुनर्विचार करने का फैसला किया है.
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