उत्तराखंड वन विभाग के पास वेटरनरी डॉक्टर्स तक नहीं, कौन करेगा इन जानवरों का इलाज?

उत्तराखंड वन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर गए वेटरनरी डॉक्टर वापस पशुपालन विभाग लौट जाएंगे तो वन्य जीवों का इलाज कौन करेगा. ये बड़ा सवाल है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
उत्तराखंड वन विभाग के पास वेटरनरी चिकित्सकों का ढांचा नहीं.
देहरादून:

पहाड़ों पर अक्सर डॉक्टरों की कमी की खबरें सुनने में आती रही है. ये कमी सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि वन्यजीवों के लिए भी है. हैरानी की बात ये है कि उत्तराखंड वन विभाग के पास वेटरनरी चिकित्सकों (Veterinary Doctors) का ढांचा ही नहीं है. ऐसे में वन विभाग को पशुपालन विभाग के डॉक्टरों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. लेकिन  उत्तराखंड वन विभाग के लिए वित्त विभाग के एक आदेश ने परेशानी खड़ी कर दी है.

वन विभाग के पास वेटरनरी डॉक्टर नहीं

पांच साल से प्रतिनियुक्ति पर गए कर्मचारियों को वापस अपने विभाग में लौटने के निर्देश दिए गए हैं. यानी कि वन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर गए वेटरनरी डॉक्टर वापस पशुपालन विभाग लौटेंगे. वहीं सचिव पशुपालन का कहना है कि विभाग ज्यादा पशु चिकित्सक वन विभाग को देने की स्थिति में नहीं है. अब सवाल ये है कि वन्य जीवों का इलाज कौन करेगा. 

अब कौन करेगा वन्य जीवों का इलाज?

वन विभाग में 8 पशु चिकित्सक काम कर रहे हैं. आदेश के बाद 4 को अब मूल विभाग लौटना पड़ेगा. लेकिन वन विभाग ने 6 डॉक्टर की मांग की है. उनका कहना है कि दोनों विभागों के संबंधों में ढांचा बनाने के लिए उन्होंने शासन को लिखा है. लेकिन सुनवाई कब तक होगी, ये नहीं कहा जा सकता. जब ये डॉक्टर्स वापस अपने विभाग लौट जाएंगे तो वन्य जीवों का इलाज कौन करेगा.  

वन्यजीवों की सुरक्षा खासकर हाथी ,बाघ ,तेंदुए पर मोटी रकम खर्च की जाती है लेकिन इतने सालों में वन्यजीवों की सेहत दूसरे विभाग के रहमोकरम पर चल रही है. उनके इलाज के लिए वन विभाग के पास डॉक्टर्स तक नहीं है. 

Featured Video Of The Day
Bihar Elections को लेकर CM Nayab Saini का बड़ा बयान, कहा- Samrat Choudhary के नेतृत्व में लेड़ेंगे