विश्व धरोहर फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए बंद, इस साल 15 हजार दर्शकों ने किया दीदार

फूलों की घाटी ऐसी अद्भुत जगह है, जहां दूर-दूर तक फूल ही फूल नजर आते हैं. यहां 500 से अधिक प्रजातियों के फूल हैं.

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  • उत्तराखंड के चमोली में स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी 31 अक्टूबर से पर्यटकों के लिए बंद कर दी गई है
  • इस साल फूलों की घाटी में 15 हजार से अधिक पर्यटक आए, जिनमें 416 विदेशी पर्यटक शामिल थे
  • फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजातियों के फूल खिलते हैं, जिनमें ऑर्किड और ब्रह्मकमल प्रमुख हैं
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उत्तराखंड के चमोली जिले में विश्व धरोहर फूलों की घाटी 31 अक्टूबर से पर्यटकों के लिए बंद कर दी गई. इस साल 15,924 पर्यटकों ने घाटी का दीदार किया. इनमें 416 विदेशी पर्यटक शामिल थे. पार्क प्रशासन को 33 लाख रुपये से ज्यादा का राजस्व मिला. 

फूलों की घाटी हर साल 1 जून को खुलती है और 31 अक्टूबर को देसी-विदेशी सैलानियों के लिए बंद कर दी जाती है. घाटी में इस बार पिछले वर्ष की तुलना में विदेशी पर्यटकों की संख्या में खासा उत्साह देखने को मिला है.

500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं

फूलों की घाटी ऐसी अद्भुत जगह है, जहां दूर-दूर तक फूल ही फूल नजर आते हैं. यहां 500 से अधिक प्रजातियों के फूल हैं, जिनमें ऑर्किड, ब्रह्मकमल, खसखस मेरीगोल्ड और डेजी प्रमुख हैं. इन फूलों के अलग-अलग समय पर खिलने से घाटी का रंग हर 15 दिन में बदलता रहता है. घाटी में इनके अलावा दुर्लभ जड़ी बूटियां भी पाई जाती हैं.

पिछले वर्षों में कितने पर्यटक आए?

  • 2022 में 20,830 पर्यटकों ने फूलों की घाटी की दीदार किया. इससे सरकार को 31,73,400 रुपये का राजस्व मिला.
  • 2023 में 13,161 पर्यटक फूलों की घाटी पहुंचे, जिनमें 401 विदेशी और 12,760 भारतीय पर्यटक थे. इस दौरान सरकार की 20,93,300 रुपये की कमाई हुई.
  • 2024 में फूलों की घाटी में कुल 19,401 पर्यटक आए. इनमें 12,760 भारतीय और 330 विदेशी पर्यटक थे. इससे सरकार को 39,40,850 रुपये की आमदनी हुई.
  • 2025 में फूलों की घाटी में 15,924 पर्यटक पहुंचे, जिनमें 15,508 भारतीय पर्यटक और 416 विदेशी पर्यटक थे. इससे सरकार को 33,28,050 रुपए का राजस्व मिला.

2005 से विश्व धरोहर है ये घाटी

फूलों की घाटी को यूनेस्को ने 17 जुलाई 2005 को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया था. 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था. इसे 1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्मिथ, एरिक शिप्टन और आर.एल. होल्ड्सवर्थ ने खोजा था. माउंट कामेट पर चढ़ाई से लौटते हुए उन्हें ये घाटी मिली थी. फ्रैंक स्मिथ ने बाद में इसके बारे में एक किताब लिखी, जिससे इस घाटी को वैश्विक ख्याति मिली.

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