भारी बारिश और भूस्खलन से बेहाल उत्तराखंड, 10 हजार से ज्यादा यात्रियों का हुआ रेस्क्यू

केदारनाथ धाम से से लेकर गौरीकुंड तक हजारों यात्री और स्थानीय लोग और दुकानदार फंस गए थे. जिसके बाद लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया और अब तक 10000 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
देहरादून:

उत्तराखंड में 31 जुलाई को  भारी बारिश से मची तबाही के बाद टिहरी जिले के घनसाली और केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. इस दौरान केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग में लिनचोली ,बड़ी लिनचोली,भीमवाली, गौरीकुंड और सोनप्रयाग तक का रास्ता भारी बारिश के चलते जगह-जगह टूट गया था.

इस वजह से केदारनाथ धाम से से लेकर गौरीकुंड तक हजारों यात्री और स्थानीय लोग और दुकानदार फंस गए थे. जिसके बाद लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया और अब तक 10000 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है. जिसमें हेलीकॉप्टर के जरिए और पैदल मार्ग के जरिए यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया है.

अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी

वहीं 31 जुलाई से अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है और 10 लोग घायल हैं. इसके अलावा एक लापता भी बताया जा रहा है. केदारनाथ धाम के रेस्क्यू ऑपरेशन में 850 से ज्यादा एनडीआरएफ ,एसडीआरएफ, पुलिस फायर पुलिस, DDRF, PRD, पीडब्ल्यूडी के कर्मचारी और मजदूर बिजली विभाग के कर्मचारी ,बीएसएनल , चिकित्सा विभाग के कर्मचारी, मेडिकल टीम , राजस्व, गढ़वाल मंडल विकास निगम इसके अलावा खाद्य विभाग के करीब 875 से ज्यादा लोग इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन में काम कर रहे हैं.  केदारनाथ में यात्रियों के रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय वायु सेवा के चिनूक और MI 17 हेलीकॉप्टर के अलावा पांच सिविल एविएशन के हेलीकॉप्टर भी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं.

उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव विनोद सुमन ने जानकारी देते हुए कहा कि केदारनाथ धाम में मोबाइल सेवा और बिजली सेवा शुरू कर दी गई है जिन लोगों को अपने परिवार में बात करनी है. वह इंटरनेट कॉलिंग के जरिए या व्हाट्सएप्प कॉलिंग के जरिए अपने परिवार से बातचीत कर सकते हैं. सचिव विनोद सुमन ने जानकारी दी की केदारनाथ में 15 से 20 दिन का राशन और दवाइयां रखी गई है ताकि लोगों को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो.

Featured Video Of The Day
Sucherita Kukreti |Nitish Kumar Hijab Controversy: नीतीश की हेल्थ पर ज्ञान सपा प्रवक्ता को पड़ा भारी!
Topics mentioned in this article