चमत्कार... धराली हादसे में कैसे बचे कल्प केदार मंदिर के मुख्य पुजारी? बड़ा भाई लापता, खुद बताई पूरी कहानी

कल्प केदार मंदिर के मुख्य पुजारी अमित नेगी ने बताया कि वो बचपन से ही कल्प केदार की सेवा में लगा रहते थे. यही वजह था कि वो अपने गांव घर में कम और मंदिर में ही ज़्यादातर रहते थे. उन्होंने बताया कि 5 तारीख को मंदिर के साफ़-सफाई और पूजा-अर्चना के बाद वो घर चले गए थे.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins

धराली स्थित कल्प केदार मंदिर के मुख्य पुजारी अमित नेगी.

फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • कल्प केदार मंदिर के मुख्य पुजारी अमित नेगी हादसे के बाद जिंदा पाए गए लेकिन उनका बड़ा भाई सुमित नेगी लापता है.
  • सुमित नेगी हादसे के समय बाज़ार में था और उसके बाद से उसकी कोई खबर नहीं मिल पाई है.
  • अमित नेगी ने बताया कि मंदिर के मलबे में दबने के बाद उन्होंने सोचा कि वे भी मारे गए होंगे, लेकिन वे बच गए.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
धराली (उत्तराखंड):

Dharali Rescue Operation: कुछ घंटों के लिए धराली गांव के लोगों और उनके खुद के परिवार ने मान लिया था कि कल्प केदार मंदिर के मुख्य पुजारी अमित नेगी भी मंदिर के साथ ज़मींदोज़ हो चुके हैं. लेकिन कुदरत का करिश्मा कहिए या कल्प केदार की महिमा. अमित नेगी आज ज़िंदा हैं. लेकिन उनका बड़ा भाई सुमित नेगी इस हादसे के बाद से लापता हैं. जिससे परिवार में चिंता है. NDTV जब कल्प केदार मंदिर (Kalp Kedar Temple) के मुख्य पुजारी अमित नेगी उर्फ़ कांति पुजारी के घर पहुंचा तो वहां सुमित नेगी के गम में उनकी मां प्रमिला देवी फफक कर रोने लगी. सुमित नेगी की तीन महीने बाद शादी थी…वो रोते-रोते बेहोश हो रही थी. बगल में बैठी उनकी चाची सुनीता ने बताया कि प्रमिला की हालत बात करने लायक़ नहीं है…

हादसे के परिवार मान रहा था कि वो नहीं रहे...

मुख्य पुजारी की चाची वो बोली कि जब धराली के त्रासदी और कल्प केदार मंदिर के डूबने की खबर आई तो हम सब यही समझे कि मंदिर में ही 12 महीने और 24 घंटे सेवा करने वाला अमित नेगी उर्फ़ कांति पुजारी की मौत हो गई होगी…लेकिन कुछ घंटे बाद पता चला कि अमित नहीं सुमित उस वक्त बाज़ार में था और वो मलबे में दब गया… अब न ही सुमित की लाश मिली है न ही उसकी खोज खबर…

8 दिन हो गए, दो जेसीबी से मलबा क्या ही मलबा हट रहा...

सुनीता ने कहा कि सरकार बार-बार कह रही है कि हम मलबा हटा रहे हैं. क्या हट रहा है दो जेसीबी मशीन लगी है. क्या होगा इनसे..आठ दिन हो चुके हैं हम सुमित का अंतिम क्रिया तक नहीं कर सकते हैं क्या करें अब…ये कहकर वो रोने लगी…सुनीता ने कहा कि सुमित ही सारे परिवार को पालता था. पिता की पहले ही मौत हो चुकी है और अमित उर्फ़ कांति पुजारी को परिवार से कोई ज्यादा मतलब नहीं है.


वो दिन रात कल्प केदार मंदिर की सेवा में रहते हैं. परिवार के लोगों के चेहरों पर त्रासदी का दर्द और सुमित जैसे ज़िम्मेदार युवक को खो देने की चिंता साफ़ झलक रही थी…भाई की मौत और कल्प केदार मंदिर के ज़मींदोज़ होने पर अमित नेगी उर्फ़ कांति पुजारी ने अपने को सबसे अलग कर लिया…वो बदहवास हैं और ज़्यादा लोगों से मिलते नहीं है…

कल्प केदार मंदिर जमींदोज और मुख्य पुजारी कैसे बचे?

धराली गांव के लकड़ी के मकान में मातम के बीच हमने कल्प केदार मंदिर के मुख्य पुजारी अमित नेगी को बुलाया…अमित ने बताया कि वो बचपन से ही कल्प केदार जी की सेवा में ही उनका मन लगता था यही वजह था कि वो अपने गांव घर में कम और मंदिर में ही ज़्यादातर रहते थे. उन्होंने बताया कि 5 तारीख़ को रोज की तरह मंदिर के साफ़ सफ़ाई और पूजा अर्चना के बाद उनको लगा कि आज घर पर खाना खाता हूँ.

उस दिन सुबह से ही घर जाने का मन हो रहा था...

मुख्य पुजारी ने आगे कहा कि सुबह से ही लग रह था कि आज घर चलें. यही वजह थी कि वो एक बजे के आसपास मंदिर से अपने गांव धराली की ओर निकले. मंदिर से काफ़ी ऊँचाई पर धराली गाँव बसा है अगर कोई शख्श आराम से जाए तो उसे 20-25 मिनट लग सकते हैं वो बताते हैं जैसे ही मैं ऊपर जाने लगा तेज आवाज़ के साथ पानी देखा और सेकेंडों में मेरे सामने कल्प केदार मंदिर मलबे में दब गया.. अंतिम बार मैंने देखा कि मंदिर के ऊपर की छतरी दिखी लेकिन फिर सबकुछ ग़ायब…

Advertisement

धराली का कल्प केदार मंदिर जो अब मलबे के नीचे समाधि ले चुका है.

बीच रास्ते से मंदिर को मलबे में दबते देख चिल्लाने लगे पुजारी

मैं बैठकर चिल्लाने लगा…मेरे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ…इतना कहकर वो ख़ामोश हो गए…वो बताने लगे कि कैसे 240 मंदिरों की शृंखला का एक ही कल्प केदार मंदिर बचा था वो भी दब गया..वो धीरे से कहते हैं कि सरकार को चाहिए फिर मेरे कल्प केदार को खोजें उसका जीर्णोद्धार कराए…

सरकार को चाहिए फिर मेरे कल्प केदार को खोजें उसका जीर्णोद्धार कराए…

हादसे के घंटे भर बाद उनको पता चला कि उनका बड़ा भाई सुमित मलबे में दब गया…कांति पुजारी पर इस त्रासदी की दोहरी मार पड़ी है…वो कहते हैं कि जब वो घर पहुंचे तो लोग हैरान थे क्योंकि सबको लगा कि मैं भी कल्प केदार के साथ दब गया…फिर जैसे ही सुमित की खबर आई माँ बेहोश हो गई…

अमित नेगी उर्फ़ कांति पुजारी अपने भाई से दो साल छोटे हैं…वो ज़्यादातर ख़ामोश रहते हैं या फिर कल्प केदार की सेवा में रहते हैं…वो उसी खामोशी के साथ हाथों से इशारा करके अपने कमरे में चले गए…घर के आँगन में मातम पसरा है और चूल्हे पर दुख प्रकट करने वालों के लिए चाय पक रही है. चूल्हे की आग से उठता धूंआ हर्षिल घाटी के दुख का ग़ुबार बनकर छा चुका है.

Advertisement

यह भी पढ़ें - बेसुध मां, पत्नी के सूखे आंसू... धराली में लापता पति की तलाश में भटक रही कोमल, झकझोर देगा परिवार का ये दर्द