उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के एसएसपी वैभव कृष्ण (Vaibhav Krishna) को सस्पेंड कर दिया है. दरअसल, पिछले दिनों वैभव कृष्ण का एक वीडियो वायरल हुआ था. जांच में यह वीडियो सही पाया गया. इसके बाद वैभव कृष्ण पर निलंबन की तलवार गिरी है. सरकार का कहना है आचरण नियमावली तोड़ने को लेकर वैभव कृष्ण पर यह कार्रवाई की गई है. उत्तर प्रदेश सरकार ने वैभव कृष्ण के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे दिये हैं. लखनऊ के एडीजी एसएन साबत मामले की जांच करेंगे. दूसरी तरफ, वैभव कृष्ण प्रकरण में आरोपों के दायरे में आए सभी पांच आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ भी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई करते हुए उन्हें उनके जिलों से हटा दिया है. इसके अलावा मुख्य सचिव के मीडिया निदेशक दिवाकर खरे भी हटाए गए हैं.
नोएडा के SSP वैभव कृष्ण को किया गया सस्पेंड, पिछले दिनों वायरल हुआ था वीडियो
क्या है वायरल वीडियो में?
हफ्ते भर पहले ही नोएडा के SSP वैभव कृष्ण (Vaibhav Krishna) का एक वीडियो और चैट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. वैभव कृष्ण तुरंत मीडिया के सामने आए और उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर एक 'मॉर्फ्ड वीडियो' जारी किया है, जिसमें उनकी तस्वीर के साथ एक महिला की आपत्तिजनक आवाज आ रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्होंने नोएडा के ही थाना सेक्टर 20 में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईटी एक्ट और विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया है.
क्या वैभव कृष्ण ने ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल को पकड़ा?
अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में वैभव कृष्ण ने यह भी कहा कि महीने भर पहले ही उन्होंने उत्तर प्रदेश शासन को एक अति संवेदनशील रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें एक संगठित गिरोह के बारे में अवगत कराया गया था. ये लोग गौतमबुद्ध नगर और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में एक संगठित गिरोह बनाकर ठेके दिलवाने, तबादला कराने तथा अपराधिक कृत्य कराने का गिरोह चला रहे हैं. एसएसपी ने कहा कि उन्हें आशंका है कि इसी गैंग से संबंधित लोगों ने उनकी छवि खराब करने के लिए इस तरह का ‘मॉर्फ्ड वीडियो' बनाया है.
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इन IPS अफसरों पर उठाई थी ऊंगली
वैभव कृष्ण ने सरकार को जो रिपोर्ट भेजी थी, उसमें रामपुर के पुलिस अधीक्षक अजयपाल शर्मा, गाजियाबाद के एसएसपी सुधीर सिंह, बांदा के पुलिस अधीक्षक गणेश साहा, कुशीनगर के पूर्व पुलिस अधीक्षक राजीव नारायण मिश्र और सुल्तानपुर के एसपी हिमांशु कुमार, मुख्य सचिव के मीडिया निदेशक दिवाकर खरे समेत कई पत्रकारों और कुछ अधिकारियों का नाम शामिल था. अब सरकार ने पांचों आईपीएस अफसरों को उनके जिलों से हटा दिया है. साथ ही मुख्य सचिव के मीडिया निदेशक पर भी कार्रवाई की गई है.
क्या कहना था DGP का?
वैभव कृष्ण ने जब वायरल वीडियो को 'मॉर्फ्ड' बताया और शासन को भेजे पत्र का जिक्र किया तो पुलिस महकमे के साथ-साथ सरकार के अंदर बवंडर मच गया. आनन-फानन में यूपी के पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह मीडिया के सामने आए. हालांकि उन्होंने दूसरे पुलिस अधिकारियों पर सवाल उठाने वाले वैभव कृष्ण पर ही सवाल खड़े कर दिये और उनके कृत्य को सर्विस नियमों के खिलाफ बताया. डीजीपी ने कहा कि एसएसपी वैभव कृष्ण से स्पष्टीकरण मांगा गया है और मामले की एडीजी मेरठ से जांच कराने को कहा गया है. गोपनीय दस्तावेज वायरल करना गैरकानूनी है. गोपनीय दस्तावेज के साथ ऑडियो भी वायरल किया गया था. एसएसपी ने सर्विस नियम का उल्लंघन किया गया. उधर, मामला बढ़ने के बाद खुद सीएम योगी ने भी इसका संज्ञान लिया और पूरे मामले पर नाराजगी जताते हुए मेरठ जोन के आईजी से रिपोर्ट मांगी.
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वैभव कृष्ण के साथ-साथ सभी IPS अफसरों पर गिरी गाज
उत्तर प्रदेश सरकार ने वैभव कृष्ण के वायरल वीडियो और चैट को गुजरात के फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा था. फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट में यह वीडियो और चैट सही पाई गई. जांच की रिपोर्ट आते ही वैभव कृष्ण को सस्पेंड कर दिया गया है. फोरेंसिक जांच में सामने आय़ा कि वीडियो एडिटेड और मार्फ्ड नहीं था. उधर. वैभव कृष्ण ने जिन आईपीएस अफसरो पर आरोप लगाए थे, उनका भी तबादला कर दिया गया है. इन अफसरों में हिमांशु कुमार, गणेश साहा,राजीव नारायण मिश्र, सुधीर कुमार सिंह और अजयपाल शर्मा शामिल हैं. पूरे मामले में जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी भी गठित कर दी गई है.
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