- नदीम उर्फ बिल्लू सांडा सहारनपुर का रहने वाला है और पश्चिमी यूपी का डॉन बनना चाहता था
- बिल्लू ने एक के बाद एक तीन मर्डर किए और जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया
- बिल्लू सांडा खलनायक फिल्म से प्रभावित था और अपना नाम नदीम से बदलकर बिल्लू रख लिया था
डॉन बनना है मुझे, पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश का और जो ये मर्डर कर रहा हूं ना, वो नाम के लिए, नाम चाहिए मुझे. मैं कस्टडी से भागा, मुझे 5 मर्डर करने थे इकट्ठे. मैं पैसे मांगता, जो न देता तो मैं निपटा देता. ये शौक है जी बचपन से, मेरा बाप भी बदमाश था, मैं भी बदमाश हूं, शौक है इस चीज का, मुझे बदमाशी का शौक है. नदीम उर्फ बिल्लू सांडा के पत्रकारों से बातचीत के इस वीडियो को 2017 में जिसने भी देखा हैरान रह गया. उसे कोई सनकी कहे, गुंडा कहे या गैंगस्टर... अपराध का कोई भी 'अलंकार' उसे दिया जाए, वह बुरा नहीं मानता बल्कि खुश होता है, क्योंकि वह कहता है उसे तो डॉन बनना है... वो पुलिस को खुलेआम चैलेंज देता है कि जेल से भाग जाऊंगा और भाग जाता.. मगर वो कहते हैं ना कोई अपराधी कितना भी उड़ ले कानून के लंबे हाथ उसकी गिरेबां तक पहुंच ही जाते हैं, तो आज वो जेल की सलाखों के पीछे है. अब आज की बात करें तो रोहित गोदारा के गैंगस्टरों को ही लीजिए... यूपी के बरेली में दिशा पाटनी के घर पर फायरिंग के मामले में यूपी पुलिस को चैंलेज कर रहे थे, पुलिस एनकाउंटर में बाइक पर फायरिंग करने आए दो आरोपी ढेर हो चुके हैं और बाकी भी पुलिस की गिरफ्त में हैं. वो कहते हैं ना बुरे काम का तो बुरा ही नतीजा होता है. हर दौर में गैंगस्टर पैदा हुए और निपटाए भी गए... खैर, अब वापस आते हैं नदीम उर्फ बिल्लू सांडा के किस्से पर...
नायक नहीं खलनायक हूं मैं
ज़ुल्मी बड़ा दुखदायक हूं मैं
है प्यार क्या मुझको क्या खबर
बस यार नफ़रत के लायक हूं मैं...
बिल्लू के दिमाग पर खलनायक फिल्म का ऐसा भूत चढ़ा हुआ था कि खलनायक में संजय दत्त के करेक्टर का नाम बल्लू था तो नदीम ने अपना नाम बिल्लू रख लिया. उसे भी क्राइम की दुनिया का बेताज बादशाह बनना था, वो भी जल्द और किसी भी कीमत पर. उसके वीडियोज सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, जिसमें उसने बताया था कि फिल्म खलनायक से वह काफी प्रभावित है. यही नहीं पत्रकारों से बातचीत में और पुलिस की मौजूदगी में वह डॉयलॉग भी बोलता दिखा कि 10 अक्टूबर को रात के 10 बजे बल्लू तुम्हारी जेल से फरार. उसने ये भी बताया था कि जेल से फरार होने के 3 दिन पहले ही मैंने कह दिया था कस्टडी से भाग जाऊंगा और मैं भाग गया. फिर एक पत्रकार ने पूछ लिया तो अब कितने दिन रहोगे जेल में, तो बिल्लू सांडा ने इसका भी जवाब दिया था, मु्श्किल से 6 महीने. पुलिस को आंख दिखाने वाला बिल्लू ये भी कहने से नहीं चूका था कि उसने पकड़े जाने से पहले पुलिस वाले पर गोली चलाई. नसीब अच्छा था कि बच गया.
सवाल- आज पकड़ा तो किस पर फायर किया?
बिल्लू- इंस्पेक्टर साहब पर
सवाल- क्यों?
बिल्लू- मर्जी थी मेरी... मुझे पकड़ने के चक्कर में, वो तो इनका नसीब बढ़िया है जो बच गया
खैर, पुलिस पार्टी को जान से मारने की नीयत से गोली चलाने के आरोपी नदीम उर्फ बिल्लू सांडा को छह वर्ष की कारावास की सजा सुनाई गई थी. जनवरी 2017 को थानाध्याक्ष कुतुबशेर जितेंदर सिंह दबिश देने के लिए पुलिस पार्टी के साथ जा रहे थे तभी मुखबिर ने सूचना दी कि दो दिन पहले हवालात तोड़कर भागा बिल्लू सांडा गांव सब्दलपुर की ओर से मोटरसाइकिल पर आ रहा है. पुलिस पार्टी मौके पर पहुंचकर उसका इंतजार करने लगी. सामने से पुलिस ने जब बिल्लू सांडा को रोकना चाहा तो उसने पुलिस पार्टी पर तमंचे से फायरिंग कर दी, लेकिन पुलिस ने बिल्लू को दबोच ही लिया.
बचपन में लिखी कहानी मेरी
कैसे बदलती जवानी मेरी
सारा समंदर मेरे पास है....
नायक नहीं खलनायक हूं मैं
खलनायक फिल्म के गाने की ये लाइनें उस पर फिट बैठती हैं. बिल्लू का बचपन सहारनपुर के ऐसे घर में बीता जहां चोरी-फिरौती जैसे अपराध आम बात थी. बिल्लू के पिता भी अपराधी थे, जिसे लेकर उसने बताया भी था कि मेरा बाप भी बदमाश था, मैं भी बदमाश हूं. उसी दौर में बिल्लू का एक और वीडियो सामने आया था, जिसमें वह पुलिसवालों के सामने खुलेआम डेमो देता दिख रहा है कि उसे हथकड़ी नहीं लगा सकते, वह हथकड़ी निकाल कर दिखाता है.
बिल्लू सांडा पुलिस को डेमो देते हुए कि कोई भी हथकड़ी वो दो मिनट में निकाल देता है...
मजाकिया अंदाज, खतरनाक इरादे
बेशक, बातचीत में एक बार उसका अंदाज मजाकिया लग सकता है, लेकिन अंदर से उसके इरादे बहुत खतरनाक थे. इन्हीं इरादों को पूरा करने के लिए उसने लगातार तीन मर्डर किए, जिसका उसे थोड़ा भी अफसोस उसे नहीं था, बल्कि वह तो इसी कोशिश में था कि जेल से बाहर आए और फिरौती और मर्डर की वारदातों को अंजाम देकर अपराध की दुनिया खलनायक बन जाए. बता दें कि उस पर 16 संगीन मामले मर्डर लूट हत्या के लिए फिरौती के हैं.
पैसे के लिए मर्डर करना था शौक
अपराध जगत में उसकी शुरुआत सहारनपुर में छोटेमोटे क्राइम से हुई, लेकिन इसके बाद वह लगातार कुछ ऐसा सोचने लगा वो बड़ा अपराधी बन जाए. उसने फरवरी 2015 में आलम चौकीदार का मर्डर किया उसे इसके लिए 6 लाख रुपये मिले. पहली हत्या के कुछ महीने दूसरी हत्या की. उसने इश्तिकार का मर्डर करने के पौने छह लाख लिए. इसके बाद बिल्लू इन पैसों से अपने शौक पूरे करने लगा. मर्डर करना उसे बाएं हाथ का खेल लगने लगा, जिसमें उसे लग रहा था कि वह पावर और पैसा दोनों कमा रहा है. इसके एक महीने बाद ही उसने तीसरा मर्डर कर दिया. तीसरे मर्डर के बाद वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. जेल में करीब वह 17 महीने रहा. उसे लगा कि कोई उसकी बेल करवाने नहीं आ रहा. तब उसने जेल से भागने की प्लानिंग की. जब जनवरी 2017 को उसे सहारनपुर जेल से कोर्ट की तरफ ले जाया जा रहा था तभी वो जेल की गाड़ी का रोशनदान तोड़कर फरार हो गया. जेल से फरार होने के बाद उसने सहारनपुर के ही प्रोपर्टी डीलर से 10 लाख रुपये की फिरौती मांगी, तो उसने इंकार कर दिया, जिसके बाद बिल्लू उसके मर्डर की तैयारी करने लगा. सब्दलपुर चौराहे पर वह फिरौती ही वसूलने गया था कि तभी वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. उसने पुलिस को बताया कि बेल के लिए पैसों का इंतजाम वह फिरौती के पैसे से ही कर रहा था. तब से अब तक बिल्लू सांडा सहारनपुर जेल में बंद है और सीसीटीवी की निगरानी में रहता है.
बिल्लू सांडा को खलनायक बनकर क्या मिला... जेल और सजा... क्योंकि जुर्म का अंजाम तो सजा ही होता है... जल्द ही फिर बात करेंगे एक और किस्से की...