अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले मौलाना शहाबुद्दीन राजवी एक बार फिर विवादों में फंसते हुए नजर आ रहे हैं. इस बार वो नए साल पर मनाए जाने वाले जश्न को लेकर दिए अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. नए साल के जश्न को उन्होंने शरीयत के नजरिए से गलत बताया है. उनका कहना है कि इस्लामिक कैलेंडर मुहर्रम के महीने से शुरू होता है, इसलिए नए साल का जश्न एक जनवरी को मनाना शरियत-ए-इस्लामिया की रोशनी में नाजायज है.
नए साल के जश्न पर मौलाना ने क्या कहा है
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में मौलाना को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि कुछ लोगों ने मुझसे सवाल किया है कि नए साल का जश्न मनाना जायज है या नाजायज है. इसलिए मैं तमाम मुसलमानों को बता देना चाहता हूं कि नए साल का जश्न मनाना शरियत-ए-इस्लामिया की रोशनी में नायाजय है.इस वीडियो को मौलाना ने अपने फेसबुक पेज पर भी शेयर किया है.
इस पर तर्क देते हुए मौलाना कहते हैं कि इस्लामिक कैलेंडर का साल मुहर्रम के महीने से शुरू होता है, इसी तरह से हिंदू कैलेंडर का साल चैत के महीने से शुरू होता है. वो नए साल के जश्न को यूरोपीय सभ्यता बताते हुए कहते हैं कि ईसाई लोग नए साल का जश्न मनाते हैं. साथ ही साथ वो नए साल के जश्न मनाने के तरीकों की भी आलोचना करते हैं. वो कहते हैं कि नए साल के जश्न में होता क्या है, 31 दिसंबर की शाम तो तमाम तरह की फूहड़बाजी, नाच-गाना, शोर-शराबा और फिजूलखर्ची की जाती है. वो कहते हैं कि शरियत इन तमाम चीजों की इजाजत नहीं देती है. शरीयत ने इन चीजों को नाजायज करार दिया है.
युवाओं को रोकेंगे उलेमा
उन्होंने मुसलमान लड़के-लड़कियों से गुजारिश की है कि वो नए साल का जश्न न मनाएं. क्योंकि नए साल का जश्न मनाना नाजायज है. उन्होंने कहा कि अगर कहीं से खबर मिली के मुसलमान लड़के-लड़कियां नए साल का जश्न मना रहे हैं तो उलेमा उसे सख्ती से रोकेंगे.
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