उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)ने जनसंख्या नियंत्रण की कोशिशों के साथ-साथ जनसांख्यकीय संतुलन बनाए रखने की जरूरत बताई है. सोमवार को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) के मौके पर उन्होंने कहा कि जब बात परिवार नियोजन की हो, जनसंख्या स्थिरीकरण की हो तो हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास सफलतापूर्वक जरूर हों, लेकिन कहीं भी जनसांख्यकीय असंतुलन की स्थिति न पैदा होने पाए. ऐसा न हो कि किसी एक वर्ग की आबादी बढ़ने की स्पीड ज्यादा हो और जो मूल निवासी हों, उन पर जनसंख्या स्थिरीकरण की कोशिशों से, इंफोर्समेंट से और जागरुकता प्रयासों से उनकी आबादी को नियंत्रित कर दिया जाए. सीएम ने कहा कि जिन देशों की जनसंख्या ज्यादा होती है वहां जनसांख्यकीय असंतुलन चिंता का विषय बनता है क्योंकि रिलिजियस डेमोग्राफी पर विपरीत असर पड़ता है तो एक समय के बाद वहां अव्यवस्था, अराजकता जन्म लेने लगती है. इसलिए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों से सभी मत, मजहब, वर्ग, सम्प्रदाय को एक समान रूप से जोड़ा जाना चाहिए.
मातृ-शिशु मृत्यु दर के आंकड़े साझा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मैटरनल एनीमिया, मातृ, शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने की कोशिशों के बीच हमारे सामने एक और चुनौती होती है. एक वर्ग विशेष में मातृ और शिशु मृत्यु दर दोनों ही ज्यादा है. अगर दो बच्चों के जन्म के बीच अन्तराल कम है तो इसका खमियाजा मातृ और शिशु मृत्यु दर पर भी पड़ेगा और इसकी कीमत समाज को भी चुकानी पड़ेगी. उन्होंने कहा जनसंख्या स्थिरीकरण के कार्य में आशा बहनें, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक गण, त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रतिनिधि महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. धर्मगुरुओं का भी सहयोग लिया जाना चाहिए. इसमें सामूहिक प्रयास से ही सफलता मिलेगी.
विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर आयोजित इस कार्यक्रम से पहले मुख्यमंत्री ने पर जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा की शुरुआत करते हुए एक जागरूकता रैली का फ्लैग ऑफ किया. उन्होंने नवदम्पतियों को शगुन किट भेंट किया साथ ही, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर टेलिकन्सल्टेशन के माध्यम से परिवार नियोजन सेवाओं की औपचारिक शुरुआत भी की. मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित इस कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के बारे में व्यापक जागरूकता कार्यक्रम विगत पांच दशकों से चल रहे हैं. इसके अच्छे परिणाम मिले हैं. उन्होंने कहा कि यूपी ने बीते पांच वर्ष में बेहतरीन परिणाम दिए हैं. मैटरनल एनीमिया में आज यह 51.1% से घटकर 45.9% रह गया है. पांच वर्ष में फुल इम्यूनाइजेशन 51.1% से बढकर लगभग 70% तक पहुंच गया है. संस्थागत प्रसव की दर जो पहले 67-68% थी, वह आज 84% की ओर जा रहा है. मातृ-शिशु मृत्यु दर को नियन्त्रित करने की कोशिशों के अच्छे परिणाम मिले हैं. अंतर विभागीय समन्वय और जागरूकता की कोशिशों से प्रदेश अपने लक्ष्यों में निश्चित ही सफल होगा..
इस मौके पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या से उपजी चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं किंतु उपभोग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. संतुलन बनाये रखने के लिए यह जरूरी है कि जनसंख्या स्थिरीकरण के ठोस प्रयास हों. उन्होंने जनसंख्या दिवस के महत्व और इस बाबत राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों/आशा, एएनएम बहनों से कहा कि वह लोगों को जनसंख्या स्थिरीकरण के महत्व की जानकारी जरूर दें.