UP का अजब-गजब गांव! रेल स्टेशन तो 5 हैं, लेकिन बिजली नहीं, कब पहुंचेगी सरकारी योजनाओं की रोशनी?

पनारी, जुगैल और कोटा जैसे गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं की कमी और प्रशासनिक सीमाओं के कारण विकास से वंचित हैं. ये गांव उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायत व्यवस्था के सामने मौजूद चुनौतियों का बड़ा उदाहरण हैं.

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यूपी के इस गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं. (सांकेतिक फोटो)

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक ग्राम सभा जो विधानसभा क्षेत्र जैसी है. आंकड़ों में वह कस्बे से भी बड़ी है. यहां पर रेलवे स्टेशन तो पांच हैं, लेकिन सैकड़ों लोग आज भी सड़क, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं. हम बात कर रहे हैं सोनभद्र जिले के चोपन ब्लॉक के पनारी गांव की, जो अपनी विशालता और विशेषताओं के कारण चर्चा में रहता है.

पांच रेलवे स्टेशन लेकिन बिजली नहीं

गांव कुल 64 टोले, 35 हजार की आबादी और 21 हजार मतदाता हैं. लेकिन हालात ऐसे कि लोगों को एक टोले से दूसरे टोले तक पहुंचने में घंटों लगते हैं. पूरे भारत में पनारी एकमात्र ऐसा गांव है, जहां पांच रेलवे स्टेशन तो हैं, सलईबनवा से लेकर ओबरा डैम तक, लेकिन कई टोले आज भी अंधेरे में हैं. गांव के लोगों को प्रधान से मिलने के लिए भी दो-तीन दिन का समय लग जाता है.

पनारी गांव  दूसरी सबसे बड़ी ग्राम पंचायत

 पनारी ग्राम सभा जुगैल के बाद सोनभद्र जिले की दूसरी सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है. वर्ष 2020 में यहां मतदाताओं की संख्या 16,344 थी, जो अब बढ़कर लगभग 21 हजार हो गई है. आबादी भी 35 हजार के करीब पहुंच चुकी है. क्षेत्रफल करीब 20 से 25 किलोमीटर तक फैला हुआ है. इस ग्राम पंचायत की एक खास बात यह है कि इसमें पांच रेलवे स्टेशन - सलईबनवा, फफराकुंड, मगरदहा, ओबरा डैम और गुरमुरा स्थित हैं. पनारी से नौ बीडीसी सदस्य चुने जाते हैं.

मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी

हालांकि इतने बड़े क्षेत्र में आज भी कई टोलों में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है. अदरा कूदर, छत्ताडांड और ढोढहार जैसे टोले ऐसे हैं, जहां न बिजली पहुंची है, एक टोले से दूसरे टोले की दूरी पांच से छह किलोमीटर है.  इतने बड़े क्षेत्रफल और जनसंख्या के बावजूद ग्राम  पंचायत के पास बजट नहीं होता, इसी वजह से अब भी कई हिस्से संपर्क मार्ग से वंचित हैं.

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गांव में विकास बड़ी समस्या

 25 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले ग्राम सभा पनारी जैसे बड़े गांव में विकास करना एक बड़ी समस्या है. इसे सरकार भी जानती है. चुनावों के समय भी इन पंचायतों की विशालता एक बड़ी चुनौती बनती है. पनारी, जुगैल और कोटा जैसे गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं की कमी और प्रशासनिक सीमाओं के कारण विकास से वंचित हैं. ये गांव उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायत व्यवस्था के सामने मौजूद चुनौतियों का बड़ा उदाहरण हैं. सवाल ये है, क्या इतनी बड़ी ग्राम पंचायतें विकास के नाम पर सिर्फ आंकड़े बनकर रह जाएंगी या फिर सरकार की योजनाओं की रौशनी कभी इन टोलों में भी पहुंचेगी.

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