लखनऊ में फिर अखिलेश यादव के डीएनए पर बवाल.
उत्तर प्रदेश की सियासत इन दिनों गरमाई हुई है. वजह है सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के बीच DNA पोस्टर वॉर. दोनों के बीच विवाद पिछले काफी दिनों से जारी है. डीएनए (Lucknow DNA Poster War) को लेकर दोनों के बीच विवाद गहराता जा रहा है. लंबे समय से चल रहे पोस्टर वॉर के बीच अब एक नया पोस्टर सामने आ गया है. ये पोस्टर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के सपोर्ट में लगाया गया है.
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अखिलेश यादव के DNA पर सवाल
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री जीशान खान ने लखनऊ के अलग-अलग इलाकों में नया पोस्टर लगाया है. जिसमें अखिलेश यादव के डीएनए को लेकर एक बार फिर से सवाल उठाए गए हैं. साथ ही कहा गया है कि ब्रजेश पाठक का डीएनए पूछने वाले वे लोग हैं, जिन्होंने अपने ही पिता को पार्टी से निकाल दिया था और घर से बेदखल कर दिया था. उनके डीएनए में जरूर खोट है इसीलिए उन्होंने अपने पिता से पिता जैसा व्यवहार नहीं किया. अब हिम्मत है तो वह अपना डीएनए टेस्ट करवा ले सच सबके सामने आ जाएगा.
लखनऊ की दीवारों पर नया पोस्टर
बता दें कि हफ़्ते से ज्यादा समय बीत गया है लेकिन यूपी में डीएनए को लेकर ब्रजेश पाठक और अखिलेश यादव में महाभारत अब भी जारी है. दोनों के बीच की लड़ाई सोशल मीडिया से निकल कर सड़क पर पहुंच गई है. पिछले दिनों बीजेपी ने अखिलेश यादव माफ़ी मांगों का अभियान चलाया था तो वहीं अखिलेश भी कहां पीछे रहने वाले थे. उनको समर्थक भी बृजेश पाठक के स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल में जुट गए.
अखिलेश-ब्रजेश के बीच नहीं थम रहा पोस्टर वॉर
सर्फ ब्रजेश पाठक ही नहीं अखिलेश के निशाने पर सीएम योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य भी हैं. लखनऊ में कई चौक-चौराहों पर कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव माफ़ी मांगों के पोस्टर लगे थे. अखिलेश के घर के आस पास भी ऐसे होर्डिंग्स दिखाई दिए थे. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने ये दावा किया कि सजवादी पार्टी के लोग गुंडागर्दी करते हैं,गाल-गलौज करते हैं, माफ़ी तो गलती करने पर होती है.बीजेपी का कहना था कि अखिलेश ने ब्रजेश पाठक से पंगा लेकर गलती की है तो माफ़ी तो मांगनी ही पड़ेगी.
क्या है अखिलेश-ब्रजेश पाठक के बीच का विवाद?
अखिलेश और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के बीच इस विवाद की शुरुआत सपा के आधिकारिक ‘एक्स' हैंडल से बृजेश पाठक पर लक्षित एक आलोचनात्मक टिप्पणी वले पोस्ट से शुरू हुई थी. बाद में सीएम योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप कर सपा की 'अभद्र भाषा' की निंदा करते हुए सार्वजनिक चर्चा में शिष्टाचार बनाए रखने की अपील की थी. इससे पहले अखिलेश यादव ने पहले डिप्टी सीएम की टिप्पणियों को खारिज करते हुए उन्हें चाटुकार कहा था. उन पर आरोप लगाया था कि जो लोग अपनी पार्टी में कोई महत्व नहीं रखते, वे भड़काऊ बयान देकर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं. उन्होंने बृजेश पाठक की बीजेपी के प्रति निष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वह बहुजन समाज पार्टी ये आए हैं.